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देवी त्रिपुरा सुंदरी की कहानी: अंधकार पर प्रकाश की विजय

Writer's picture: pankaj singhpankaj singh

देवी त्रिपुरा सुंदरी की कहानी: अंधकार पर प्रकाश की विजय
देवी त्रिपुरा सुंदरी की कहानी: अंधकार पर प्रकाश की विजय

देवी त्रिपुरा सुंदरी की कहानी: अंधकार पर प्रकाश की विजय

देवी त्रिपुरा सुंदरी की यह कहानी उनकी महिमा और उनके अद्भुत कारनामों को सरल और रोचक भाषा में बताती है। यह कहानी पाँचवीं कक्षा के छात्रों के लिए भी आसानी से समझने योग्य है। इसमें हम जानेंगे कि कैसे अंधकार पर प्रकाश की जीत हुई और कैसे देवी ने सृष्टि में शांति और सौंदर्य वापस लाया।


एक समय की बात

बहुत समय पहले, जब दुनिया अभी-अभी बनाई गई थी, तब सृष्टि में अंधेरा, डर और अराजकता फैल गया था। उस समय कई जगहों पर खुशी और प्रेम नहीं था। लोग और देवता भी परेशान थे। अंधकार ने सारे जगत पर राज कर रखा था। इस अंधेरे के तीन बड़े भाग थे, जिन्हें "त्रिपुरा" कहा जाता था। इन तीन भागों में अलग-अलग तरह के अंधकार और भ्रम फैल चुका था।


त्रिपुरासुर और उसके तीन नगर

उस समय एक शक्तिशाली राक्षस था जिसका नाम त्रिपुरासुर था। उसने तीन अद्भुत नगर बनाए थे – एक आकाश में, एक धरती पर, और एक समुद्र के ऊपर। इन नगरों में अंधकार, धोखे और बुराई का राज था। त्रिपुरासुर इन नगरों में बहुत शक्तिशाली हो गया था और उसने सब जगह बुराई फैला दी थी।

लोग डर गए और देवताओं को समझ नहीं आ रहा था कि इस अंधेरे को कैसे दूर किया जाए। सभी देवता मिलकर इकट्ठे हुए और उन्होंने सबसे बड़े, सबसे शक्तिशाली देवता से सहायता माँगी। उन्होंने प्रार्थना की कि हमारी मदद करो, ताकि हम अंधकार को हटा सकें और दुनिया में फिर से प्रकाश, प्रेम और खुशी ला सकें।


देवी त्रिपुरा सुंदरी का अवतार

जब देवताओं ने अपनी प्रार्थनाएँ कीं, तब ब्रह्मांड की अनंत शक्ति ने सुना और एक अद्भुत परिवर्तन हुआ। उसी क्षण, एक सुंदर, चमकदार और अत्यंत शक्तिशाली देवी प्रकट हुईं, जिनका नाम था त्रिपुरा सुंदरी।

देवी त्रिपुरा सुंदरी का रूप ऐसा था कि उनकी आँखों में चमक थी, उनके चेहरे पर एक मधुर मुस्कान थी और उनके हर अंग से प्रकाश फैल रहा था। ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने खुद अंधेरे को चीरकर, उजाले की किरणें बिखेर दी हों। उनकी सुंदरता इतनी अद्भुत थी कि देवताओं और मनुष्यों ने पहली नजर में ही उन्हें अपना उद्धारकर्ता मान लिया।


देवी का उदय और उनका मिशन

देवी त्रिपुरा सुंदरी का मुख्य उद्देश्य था त्रिपुरासुर द्वारा बनाए गए तीन अंधेरे नगरों को नष्ट करना और सृष्टि में फिर से संतुलन, शांति और प्रेम बहाल करना। उन्होंने अपनी दिव्य शक्ति से यह तय किया कि अब और नहीं।

उन्होंने अपने मन में यह सोचा कि अगर अंधेरे पर उजाला चढ़ जाएगा, तो सभी लोगों के जीवन में खुशी लौट आएगी। देवी ने अपने शरीर को सुंदर फूलों, चमकीले मोतियों और रंग-बिरंगे रेशमी कपड़ों से सजाया। उनके चारों ओर एक अद्भुत आभा फैल गई, जिससे ऐसा प्रतीत हुआ कि वे स्वयं एक प्रकाश स्रोत हैं।


तीन नगरों का सामना

देवी त्रिपुरा सुंदरी ने सबसे पहले धरती पर स्थित नगर का सामना किया। वहाँ के लोग बहुत डरे हुए थे क्योंकि अंधकार ने उनके जीवन में सारा उजाला छीन लिया था। देवी ने अपने मनमोहक स्वर में कुछ मंत्र बोले, जिससे वहां का अंधकार धीरे-धीरे गायब होने लगा। धीरे-धीरे, धरती पर फिर से हरियाली, फूल और खुशियाँ लौट आईं।

फिर देवी ने आकाश की ओर रुख किया। आकाश में त्रिपुरासुर ने एक अजीब सा अंधेरा फैला रखा था, जिससे सूर्य की रोशनी भी कम हो गई थी। देवी ने अपने हाथ फैलाकर आकाश में चमक बिखेरी। उनके द्वारा बोला गया मंत्र ऐसा था मानो सितारों से भी ज्यादा उजाला हो गया हो। आकाश में बादल छंट गए, नीला आकाश फिर से चमकने लगा और सूरज की किरणें धरती पर मुस्कुराने लगीं।

अंत में, देवी ने समुद्र के ऊपर स्थित नगर का सामना किया। समुद्र में भी अंधकार और अराजकता फैली हुई थी। देवी ने समुद्र के ऊपर एक सुंदर पुल बनाया और अपने मंत्रों के साथ समुद्र की लहरों को शांत कर दिया। धीरे-धीरे, समुद्र की सतह पर भी उजाले की चमक फैल गई और समुद्री जीवन ने फिर से आनंद मनाना शुरू कर दिया।


त्रिपुरासुर का सामना

जब तीनों नगरों में उजाला फैल गया, तब त्रिपुरासुर ने देखा कि उसकी बुरी शक्ति धीरे-धीरे खत्म हो रही है। उसने गुस्से में आकर देवी का सामना करने का निर्णय लिया। त्रिपुरासुर बहुत शक्तिशाली था, लेकिन उसकी शक्ति केवल अंधकार और धोखे तक ही सीमित थी। जब उसने देखा कि देवी के पास सच्चाई, प्रेम और प्रकाश है, तो उसे डर लगने लगा।

देवी त्रिपुरा सुंदरी ने त्रिपुरासुर से कहा, "अब तुम्हारा समय खत्म हो गया है। तुम्हारी बुरी शक्तियाँ और अंधकार का राज अब यहाँ नहीं चलेगा।" त्रिपुरासुर ने अपनी पूरी ताकत लगाई, लेकिन देवी की शक्ति बहुत ही अधिक थी। देवी ने अपने मंत्रों और शक्तिशाली शब्दों से त्रिपुरासुर पर वार किया।

उसकी शक्तियाँ एक-एक करके फीकी पड़ने लगीं। जैसे ही देवी ने अपना अगला मंत्र उच्च स्वर में बोला, त्रिपुरासुर की सारी बुरी ऊर्जा टूट गई और वह चटक कर नष्ट हो गया। उस क्षण, तीनों नगर भी एक साथ ध्वस्त हो गए, क्योंकि वे त्रिपुरासुर के अंधकार के प्रतीक थे।


उजाले का विजयाभिषेक

त्रिपुरासुर के नष्ट होते ही, पूरी सृष्टि में एक अद्भुत परिवर्तन आया। अँधेरा गायब हो गया और जगह-जगह उजाला फैल गया। धरती, आकाश और समुद्र – तीनों जगहें फिर से सुंदर और खुशहाल हो गईं। सभी जीव, चाहे वे मनुष्य हों या जानवर, देवी त्रिपुरा सुंदरी के आशीर्वाद से खुशी मनाने लगे।

देवी ने लोगों को सिखाया कि हमारे अंदर भी एक अद्भुत शक्ति है, जो अंधेरे को हर सकती है। उन्होंने बताया कि हमें हमेशा सत्य, प्रेम और उजाले पर विश्वास रखना चाहिए। जब भी हम डरे या निराश महसूस करें, तो हमें याद रखना चाहिए कि अंदर की रोशनी अँधेरे को हमेशा हरा देती है।


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देवी की महिमा और संदेश

देवी त्रिपुरा सुंदरी की कहानी हमें यह सिखाती है कि:

  1. अंधकार पर उजाले की जीत: चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, अगर हम अपने अंदर की रोशनी और सच्चाई पर विश्वास रखें, तो हम हर अँधेरे को दूर कर सकते हैं।

  2. सच्ची सुंदरता: असली सुंदरता बाहरी दिखावे में नहीं होती, बल्कि हमारे मन, विचार और कर्मों में होती है।

  3. धैर्य और विश्वास: कठिन समय में भी हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और अपने अंदर की शक्ति पर भरोसा करना चाहिए।

  4. परिवर्तन की शक्ति: एक छोटे से उजाले से भी बड़ा अंधकार दूर हो सकता है।


कहानी का सार

इस कहानी में हमने देखा कि कैसे एक शक्तिशाली राक्षस त्रिपुरासुर ने तीन नगरों में अंधकार फैलाया था। लेकिन जब सभी देवताओं ने मिलकर देवी त्रिपुरा सुंदरी से सहायता माँगी, तब उन्होंने अपनी दिव्य शक्ति से उस अंधकार को समाप्त कर दिया।

उनकी यह लीलात्मक लड़ाई हमें यह सिखाती है कि हमेशा अच्छाई की जीत होती है। जब हम सच्चे दिल से अच्छे काम करते हैं और सत्य की राह पर चलते हैं, तो बुराई अपने आप खत्म हो जाती है।


अंत में

देवी त्रिपुरा सुंदरी की कहानी हमें एक सुंदर संदेश देती है – "अपने अंदर की रोशनी को कभी मत भूलो।" जब भी हम किसी मुश्किल में हों या अंधकार से घिरे हुए महसूस करें, हमें याद रखना चाहिए कि हमारे अंदर एक अनंत शक्ति है, जो हमें हर बाधा पार करने में मदद कर सकती है।

यह कहानी हमें न केवल देवी त्रिपुरा सुंदरी की महानता के बारे में बताती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि हर व्यक्ति में एक छोटी सी चमक होती है, जो बड़ी से बड़ी अंधेरी रात को भी रोशन कर सकती है। हमें उस चमक को पहचानना और उसे बढ़ाना चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में खुशियाँ और सफलता पा सकें।


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